टाइटेनिक जहाज किस देश का था

यह एक ब्रिटिश यात्री जहाज था जो 1912 में साउथेम्प्टन, इंग्लैंड से न्यूयॉर्क शहर की अपनी पहली यात्रा के दौरान उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था। यह एक हिमखंड से टकराया और डूब गया, जिसके परिणामस्वरूप 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिससे यह आधुनिक इतिहास की सबसे घातक वाणिज्यिक शांतिकालीन समुद्री आपदाओं में से एक बन गई। यह आपदा आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही है और इसने कई पुस्तकों, फिल्मों और वृत्तचित्रों को प्रेरित किया है।

टाइटेनिक जहाज में कितने कमरे थे

टाइटैनिक पर कमरों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि आप यात्री कक्ष, चालक दल क्वार्टर, या जहाज पर सभी संलग्न स्थानों की गिनती कर रहे हैं या नहीं। सामान्य तौर पर अगर हम यात्री स्टेटरूम के बारे में बात करें तो टाइटेनिक मे कुल यात्री कमरे 840 कमरे थे, इन कमरो में प्रथम श्रेणी के 416 कमरे, द्वितीय श्रेणी के 162 कमरे और तृतीय श्रेणी 262 कमरे थे।

टाइटेनिक जहाज कितना बड़ा था

टाइटैनिक आकार 882 फीट 9 इंच (269.1 मीटर) लंबा था, उस समय इस लंबाई के जहाज नहीं बनाए जाते थे। इसलिए उस समय यह दुनिया का सबसे लंबा जहाज कहलाया गया था।वर्तमान मे अगर हम दुनिया का स अबसे लंबा जहाज के बारे मे पता करे तो हमारे सामने जनकरी निकल के आती हैं की एमएस एल्योर ऑफ द सीज जिसकी लंबाई 1,187 फीट (362 मीटर) हैं यह दुनिया का सबसे बड़ा यात्री जहाज है।

टाइटैनिक जहाज कैसे डूबा

टाइटेनिक जहाज के डूबने का सबसे बड़ा कारण तूफान और बर्फ के बड़े टुकड़े से टकराना था। बर्फ के बड़े तुकरे से टकराने की वजह से टाइटेनिक को बहुत क्षति हुई थी और इसी वजह से टाइटेनिक समुद्र मे डूब गया था। रात को 11:40 मे टाइटेनिक डूबने लगा था और रात को 2:20 पर टाइटेनिक पूरी तरह से समुद्र मे डूब गया था। 14 अप्रैल 1912 को यह जहाज समुद्र मे डूब गया था। इसकी वजह से 1517 लोगो की मृत्यु हो गई थी।

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