रेल रिज़र्वेशन में PQWL/RLWL/WL का क्या अर्थ होता है?

यदि आपने यात्रा की तारीख से काफी पहले ट्रेन टिकट बुक कराई है, तो आपको अक्सर कंफर्म बर्थ मिल जाती है। लेकिन त्यौहारों या शादियों के मौसम में जब हम यात्रा के करीब टिकट बुक करते हैं, तो टिकट वेटिंग लिस्ट में चला जाता है। इस स्थिति में टिकट पर GNWL, PQWL, RQWL आदि लिखा होता है। आइए जानें, इन शॉर्टफॉर्म्स का क्या मतलब है और किन परिस्थितियों में टिकट के कंफर्म होने की संभावना कितनी होती है।

वेटिंग लिस्ट के प्रकार

वेटिंग लिस्ट (Waiting List) भारतीय रेलवे में वह स्थिति होती है जब किसी ट्रेन में सभी उपलब्ध सीटें बुक हो जाती हैं, लेकिन यात्रा करने के इच्छुक यात्री अब भी टिकट बुक कर रहे होते हैं। ऐसे में, उनकी टिकट को सीधे कंफर्म न करके वेटिंग लिस्ट में डाल दिया जाता है। वेटिंग लिस्ट का मतलब है कि यात्री को सीट तभी मिलेगी जब पहले से बुक की गई टिकटें किसी कारणवश कैंसिल हो जाएं।

जनरल वेटिंग लिस्ट (GNWL)

GNWL का मतलब होता है जनरल वेटिंग लिस्ट, जो ट्रेन की सबसे महत्वपूर्ण वेटिंग लिस्ट होती है। जब कोई यात्री ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से यात्रा करने के लिए टिकट बुक करता है और सीट उपलब्ध न होने के कारण वह कंफर्म नहीं हो पाती, तो उसकी टिकट GNWL यानी जनरल वेटिंग लिस्ट में डाल दी जाती है। यह स्थिति खासतौर पर तब होती है जब ट्रेन के रूट के पहले स्टेशन से बुकिंग की जाती है।

वेटिंग लिस्ट में सबसे पहले जनरल वेटिंग लिस्ट के यात्रियों को ही प्राथमिकता दी जाती है। इसका मतलब है कि अगर कोई टिकट GNWL में है, तो उसके कंफर्म होने की संभावना सबसे अधिक होती है। जैसे-जैसे दूसरे यात्री अपनी टिकट कैंसिल करते हैं, GNWL के टिकट सबसे पहले कंफर्म किए जाते हैं। इसलिए, अगर आपका टिकट GNWL में है, तो आपको अन्य वेटिंग लिस्ट के मुकाबले कंफर्म होने की अधिक संभावना होती है।

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रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट (RLWL)

यह वेटिंग लिस्ट छोटे स्टेशनों के लिए होती है, जहां से यात्रियों की संख्या कम होती है। रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट (RLWL) वह वेटिंग लिस्ट होती है जो ट्रेन के शुरुआती और आखिरी स्टेशन के बीच के स्टेशनों से जारी की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई यात्री दिल्ली से कोलकाता जाने वाली ट्रेन में वाराणसी से टिकट लेता है, तो उसकी टिकट RLWL में जाती है।

RLWL टिकट के कंफर्म होने की संभावना चार्ट बनने के समय कम होती है, क्योंकि इस तरह की वेटिंग लिस्ट के लिए कोई विशेष कोटा नहीं होता है। इसके विपरीत, जनरल वेटिंग लिस्ट (GNWL) में टिकट के कंफर्म होने की संभावना अधिक होती है, खासकर जब टिकट ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से बुक की गई हो। RLWL के यात्रियों को अक्सर यात्रा से पहले अपनी टिकट स्थिति की जांच करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसका कंफर्म होना मुश्किल होता है।

पूल्ड कोटा वेटिंग लिस्ट (PQWL)

यह वेटिंग लिस्ट तब बनती है जब आप किसी लंबी दूरी की ट्रेन में दो स्टेशनों के बीच यात्रा कर रहे होते हैं। PQWL की टिकट तभी कंफर्म होती है जब उसी रूट पर किसी यात्री की टिकट कैंसिल होती है। इस लिस्ट में कंफर्म होने की संभावना थोड़ी कम होती है।

रिक्वेस्ट वेटिंग लिस्ट (RQWL)

यह सबसे आखिरी वेटिंग लिस्ट होती है और इसमें टिकट के कंफर्म होने की संभावना बहुत कम होती है। जब किसी रूट में पूल्ड कोटा होता है, तब इस लिस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। यह लिस्ट तभी कंफर्म होती है जब बहुत सारे टिकट कैंसिल होते हैं।

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रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन (RAC)

RAC टिकट होने पर यात्री को आधी बर्थ मिलती है, यानी एक बर्थ पर दो यात्री एक साथ सफर करते हैं। RAC की टिकट के कंफर्म होने की संभावना वेटिंग लिस्ट के मुकाबले ज्यादा होती है, क्योंकि इसमें पहले से कुछ सीटें कैंसिलेशन के लिए रिजर्व होती हैं।

विभिन्न प्रकार की वेटिंग लिस्ट में से GNWL और RLWL में टिकट के कंफर्म होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं, जबकि PQWL और RQWL में कंफर्मेशन की संभावना कम होती है।

क्या वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर में जा सकते हैं?

यदि यात्री ने ऑनलाइन वेटिंग टिकट बुक किया है और वह कंफर्म नहीं होता, तो टिकट ऑटोमेटिक रूप से कैंसिल हो जाता है और पैसा रिफंड हो जाता है। लेकिन कई लोग मानते हैं कि विंडो से वेटिंग टिकट लेने पर वे स्लीपर कोच में यात्रा कर सकते हैं, जो कि गलत है। रेलवे ने स्पष्ट किया है कि विंडो का वेटिंग टिकट भी स्लीपर कोच में यात्रा की अनुमति नहीं देता। ऐसे टिकट पर केवल जनरल कोच में ही सफर किया जा सकता है। यदि कोई यात्री वेटिंग टिकट लेकर स्लीपर कोच में सफर करता है, तो उसे सजा हो सकती है।

वेटिंग टिकट है और सीट खाली है तब क्या करें?

अगर आपका टिकट वेटिंग में है और स्लीपर कोच में कोई सीट खाली है, तो आप टीटीई (ट्रेन टिकट एग्जामिनर) से संपर्क करें। टीटीई आपकी टिकट की स्थिति चेक करेगा और अगर कोई सीट खाली है, तो वह आपको बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के सीट दे सकता है। ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया में आपको अलग से कोई पैसे देने की जरूरत नहीं होती। टीटीई का काम है कि वह खाली सीटों को वेटिंग लिस्ट के यात्रियों को दे, इसलिए सीधे उससे बात करना सबसे सही तरीका है।

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