दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री कौन है

जब हम यह सवाल करते हैं कि “दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री कौन है?”, तो कई लोगों का ध्यान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर जाता है। ट्रूडो ने अपने विवादास्पद और मूर्खतापूर्ण फैसलों के चलते न केवल कनाडा के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आलोचना का सामना किया है। विशेष रूप से, भारत के खिलाफ उनके निर्णय और खलिस्तान समर्थक तत्वों के प्रति उनकी नरमी ने उनकी छवि को और भी खराब कर दिया है। इस लेख में हम जस्टिन ट्रूडो की उन नीतियों और फैसलों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिनकी वजह से उन्हें दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री कहा जाता है।

व्लादिमीर पुतिन ने जस्टिन ट्रूडो को बताया ‘बेवकूफ प्रधानमंत्री’

हाल ही में कनाडा में हुए एक विवादास्पद घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया, जब नाजी सेना के एक पूर्व सैनिक को कनाडाई संसद में सम्मानित किया गया। इस घटना ने न केवल कनाडा को वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ा, बल्कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। पुतिन ने सार्वजनिक रूप से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘बेवकूफ’ कहा और यह सवाल उठाया कि ट्रूडो को बुनियादी इतिहास की जानकारी नहीं है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक कार्यक्रम के दौरान इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। जब उनसे इस मुद्दे पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अगर जस्टिन ट्रूडो को यह नहीं पता कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की नाजी सेना ने रूस के खिलाफ युद्ध लड़ा था, तो इसका मतलब है कि उन्होंने स्कूल में पढ़ाई नहीं की। पुतिन ने ट्रूडो की आलोचना करते हुए उन्हें बेवकूफ कहा और कहा कि यदि ट्रूडो यह जानते हुए भी उस नाजी सैनिक को हीरो कहते हैं, तो इसका मतलब है कि वे खुद विलेन हैं।

See also  ड्राइविंग लाइसेंस कितने दिन में बनता है?

इस घटना की शुरुआत तब हुई जब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की ने पिछले हफ्ते कनाडा की संसद में एक विशेष सत्र को संबोधित किया। इस सत्र में 98 साल के यारोस्लाव हुंका को भी आमंत्रित किया गया, जिन्हें स्पीकर एंथनी रोटा ने ‘यूक्रेनी और कनाडाई हीरो’ के रूप में प्रस्तुत किया। संसद के सदस्यों ने हुंका का सम्मान करते हुए तालियां बजाईं।

लेकिन कुछ ही दिनों बाद खुलासा हुआ कि यारोस्लाव हुंका नाजी सेना की कुख्यात एसएस इकाई का हिस्सा थे, जो यहूदियों पर अत्याचार और नरसंहार के लिए कुख्यात थी। इस सच्चाई के सामने आने के बाद कनाडा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा, और स्पीकर एंथनी रोटा ने इस्तीफा दे दिया। जस्टिन ट्रूडो ने भी इस घटना पर माफी मांगी, लेकिन तब तक उनके खिलाफ आलोचना की लहरें तेज हो चुकी थीं।

नाजी सैनिक को सम्मानित करने की इस घटना ने कनाडा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। खासकर, पहले से ही भारत के साथ खालिस्तान मुद्दे पर ट्रूडो आलोचना झेल रहे थे, और अब इस नाजी मुद्दे ने उनकी स्थिति को और कमजोर कर दिया है।

जब ट्रूडो ने इस घटना के बाद माफी मांगी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उनके विरोधी और आलोचक उन्हें इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराने लगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रूडो की छवि को गहरा धक्का लगा और उन्हें दुनिया भर में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

पुतिन की प्रतिक्रिया ने इस घटना को और अधिक तूल दे दिया। रूस, जो खुद नाजी सेना के अत्याचारों का बड़ा शिकार रहा है, ने इसे अपने खिलाफ अपमान के रूप में देखा। पुतिन का ट्रूडो को ‘बेवकूफ’ कहना और यह सुझाव देना कि ट्रूडो को इतिहास की जानकारी नहीं है, कनाडा की स्थिति को और जटिल कर देता है।

See also  विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व

खलिस्तान समर्थकों का समर्थन और भारत से रिश्ते बिगाड़ना

“दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री कौन है?” इस प्रश्न के उत्तर में सबसे बड़ा कारण जस्टिन ट्रूडो का खलिस्तान समर्थकों के प्रति नरमी दिखाना है। खलिस्तान समर्थक, जो पंजाब को भारत से अलग करना चाहते हैं, वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। ट्रूडो की सरकार ने खलिस्तान समर्थकों को कनाडा में खुलेआम समर्थन दिया, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में गंभीर खटास आ गई।

भारत ने कई बार ट्रूडो से खलिस्तान समर्थक तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। इसके चलते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके संबंध बिगड़ गए। 2018 में भारत दौरे पर जस्टिन ट्रूडो की खलिस्तान समर्थक आतंकवादी जसपाल अटवाल के साथ तस्वीरें वायरल हुईं, जिसने कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल किया। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि ट्रूडो के निर्णय न केवल मूर्खतापूर्ण थे, बल्कि उनके देश की प्रतिष्ठा के लिए भी हानिकारक थे।

कनाडा में बढ़ती आलोचना

कनाडा के भीतर भी, जस्टिन ट्रूडो को “दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री” कहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनके फैसलों पर विपक्षी दलों द्वारा तीखी आलोचना की जा रही है। विपक्षी नेता और जनता दोनों ही ट्रूडो के निर्णयों को कनाडा के लिए हानिकारक मानते हैं। खलिस्तान समर्थकों का समर्थन और भारत जैसे महत्वपूर्ण देश के साथ रिश्ते खराब करना, विपक्ष के लिए ट्रूडो के खिलाफ एक प्रमुख हथियार बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर ट्रूडो की मूर्खताएं

जस्टिन ट्रूडो की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का सबसे शर्मनाक पहलू यह रहा कि उन्होंने कई बार ऐसा व्यवहार किया जिससे वे और कनाडा दोनों हंसी का पात्र बने। जस्टिन ट्रूडो की अंतरराष्ट्रीय नीतियों ने अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे प्रमुख देशों के साथ कनाडा के रिश्तों को कमजोर किया। यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें सार्वजनिक रूप से कमजोर नेता कहकर आलोचना की थी। यह ट्रूडो की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के असफल होने का एक और सबूत था, जिसने उन्हें “दुनिया का सबसे मूर्ख प्रधानमंत्री” के खिताब के करीब पहुंचा दिया।

See also  विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व

जस्टिन ट्रूडो की घरेलू नीतियों ने कनाडा को भी कई समस्याओं में डाल दिया। उनकी आर्थिक नीतियां, विशेष रूप से कार्बन टैक्स, ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को धीमा कर दिया। छोटे व्यवसायों और ग्रामीण इलाकों पर इस टैक्स का बुरा प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, उनकी आप्रवासन नीतियों ने भी विवाद पैदा किया, क्योंकि बहुत सारे शरणार्थियों को कनाडा में आने की अनुमति दी गई, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ा।

ट्रूडो की सरकार की कोविड-19 महामारी के दौरान की गई गलतियां भी एक बड़ा कारण बनीं, जिसकी वजह से कनाडा को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वैक्सीन आपूर्ति में देरी और लॉकडाउन के गलत फैसलों ने उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए। इससे जनता में असंतोष बढ़ा और उनके नेतृत्व को कमजोर करने का काम किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *