भारतीय संविधान जब 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, तब इसमें कुल 395 अनुच्छेद थे, जो विभिन्न विषयों और अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते थे। इसके अलावा संविधान में उस समय 22 भाग (Parts) और 8 अनुसूचियां (Schedules) थीं।
लेकिन समय के साथ, देश में बदलते हालात और जरूरतों के अनुसार, संविधान में कई संशोधन किए गए। इन संशोधनों की वजह से संविधान में नए अनुच्छेद जोड़े गए और कुछ अनुच्छेदों में बदलाव किए गए। आज भारतीय संविधान में कुल 448 अनुच्छेद हैं, जिनका विस्तार और प्रभाव समय-समय पर होने वाले संविधान संशोधनों के परिणामस्वरूप हुआ है।
संविधान की प्रारंभिक संरचना
जब संविधान लागू हुआ, तब इसमें तीन प्रमुख घटक थे:
- अनुच्छेद (Articles) – कुल 395 अनुच्छेद थे, जो संविधान के विभिन्न हिस्सों में बंटे हुए थे।
- भाग (Parts) – संविधान को 22 भागों में विभाजित किया गया था, ताकि इसके अलग-अलग पहलुओं को समझना आसान हो सके।
- अनुसूचियां (Schedules) – संविधान में 8 अनुसूचियां थीं, जो महत्वपूर्ण प्रावधानों और नियमों का समावेश करती थीं।
संविधान में अनुच्छेदों की बढ़ती संख्या
जैसे-जैसे देश में कानून और प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता महसूस हुई, वैसे-वैसे संविधान में संशोधन होते गए। उदाहरण के लिए, 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया। इस संशोधन के तहत अनुच्छेद 51 में एक नया उप-अनुच्छेद जोड़ा गया, जिसे अनुच्छेद 51(क) कहा गया। इस अनुच्छेद के तहत भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) जोड़े गए, जिसमें 10 कर्तव्यों को शामिल किया गया।
इसी तरह के अन्य संशोधनों के कारण, आज भारतीय संविधान में कुल 448 अनुच्छेद हैं। ये नए अनुच्छेद, पुराने अनुच्छेदों के विस्तार के रूप में जोड़े गए हैं, ताकि संविधान अधिक समग्र और व्यापक हो सके।
संविधान में भाग और अनुसूचियों का विस्तार
संविधान के भागों और अनुसूचियों में भी समय के साथ निम्न बदलाव हुए हैं:
- प्रारंभ में संविधान में 22 भाग थे, लेकिन संशोधनों के बाद अब यह संख्या 25 भाग हो गई है।
- संविधान में 8 अनुसूचियां थीं, जो अब बढ़कर 12 अनुसूचियां हो गई हैं।