एक जिले मे 1 या फिर 1 से ज्यादा एसडीएम हो सकते हैं। किसी भी राज्य मे कई जिले होते हैं। हर जिले का एक अधिकारी होता हैं। इस अधिकारी को कलेक्टर या फिर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहते हैं। पूरे जिले को अकेला डीएम नहीं नियंत्रित कर सकता हैं, इसलिए पूरे जिले को सब-डिवीजन (उपखंड) में बांटा जाता हैं। किसी एक जिले मे एक या फिर एक से ज्यादा उपखंड हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश के सबसे छोटे जिले “निवारी” का उदाहरण लेते हैं, निवरी जिले को दो उपखंड मे विभाजित किया गया हैं, इसलिए निवारी में दो एसडीएम नियुक्त किए जाते हैं। अब एक उदाहरण मध्य प्रदेश के पूर्वी जिले रीवा का उदाहरण देखते हैं, रीवा मे 6 एसडीएम हैं। रीवा को 6 सब-डिवीज़न मे बांटा गया हैं, सब-डिवीजन यानि की उपखंड के मुख्य एसडीएम ही होता हैं।
एसडीएम का फुल फॉर्म
एसडीएम का फुल फॉर्म “Sub Divisional Magistrate” होता हैं। सब डिविजिनल मेजिस्ट्रेट को हिन्दी मे उपखंड मजिस्ट्रेट कहते हैं। राज्य के द्वारा आयोजित सिविल परीक्षा मे सबसे बड़ा पद एसडीएम का ही होता हैं। इसके अलावा आईएएस की परीक्षा पा शोने के बाद कैडर की पहली पोस्टिंग एसडीएम के रूप में ही होती हैं। एसडीएम की परिभाषा भारतीय दंड संहिता 1973 की धारा 20 (4) में दी गई हैं। एसडीएम पद पर नियुक्त अधिकारी प्रमोशन पाकर जिला अधिकारी या फिर राज्य सरकार मे सचिव बनते हैं।
एसडीएम की सैलरी कितनी होती है
एसडीएम की शुरुआती सैलरी लगभग 65 हजार से ज्यादा होती हैं, एसडीएम के सैलरी को समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं। एसडीएम की शुरुआती सैलरी लगभग 77 हजार रूपय होती हैं, जो की अनुभव के साथ साथ बढ़ती जाती हैं। एक अनुमान के अनुसार एसडीएम की सैलरी 56,100 से लेकर 1,77,500 रूपय तक होती हैं। वेतन के अलावा एसडीएम को सरकारी घर, माली, टेलीफोन कनेकशन, सिक्योरिटी, फ्री बिजली और कुक की सुविधा मिलती हैं।
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