जब ग्रहो के राजा सूर्य धनु राशि मे प्रवेश करते हैं तब इस घटना को ही खरमास की प्रारम्भ माना जाता हैं, इस दौरान 30 दिनों तक सूर्य देव धनु राशि मे रहते हैं। इसलिए इस पूरे महीने को खरमास कहा जाता हैं। हिन्दू धर्म में खरमास को अच्छा नहीं माना जाता हैं। इसलिए खरमास के महीने मे कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता हैं। खरमास के दौरान प्रकृति मे भी बदलाव होते हैं, इस महीने आमतौर पर ज्यादा ठंड और शुष्क दिन होते हैं। खरमास मे निम्न नियमो का पालन करने से खरमास के दुष्प्रभावो से बचा जा सकता हैं।
- खरमास मे थाली की जगह पत्तों से बनी पत्तल या फिर केले के पत्ते मे भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- खरमास मे भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं, पुराने समय मे खरमास के लगने के बाद महीने मे एक बार घर मे जरूर सत्यनारायण भगवान की कथा जरूर होती थी।
- खरमास के महीनो मे पलंग या फिर बेड की जगह सोने के लिए जमीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
- खरमास के महीने मे पप्रतिदिन सूर्य भगवान को अर्घ जरूर देना चाहिए।
खरमास में क्या नहीं खरीदना चाहिए
खरमास के महीनो मे मांगलिक कार्यो मे पूरी तरह से पाबंदी होती हैं, इसलिए खरदीनों मे किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य तो नहीं करने चाहिए इसके साथ साथ खरमास के महीने मे कुछ चीजों के ख़रीदारी मे भी सावधानी बरतनी चाहिए। खरमास के महीने मे निम्न वस्तुओ आदि की ख़रीदारी नहीं करनी चाहिए-
- खरमास में नया वहाँ जैसे कार, मोटरसाइकिल, बस, टेकसी आदि को नहीं खरीदना चाहिए।
- खरमास में भूलकर भी अचल संपत्ति नहीं खरीदनी चाहिए जैसे- नया घर, नया प्लाट और नई दुकान आदि को खरमास मे न खरीदे।
- खरमास को पुरषोत्तम महिना भी कहा जाता हैं, खरमास मे जेवर, गहना आदि भी नहीं खरीदना चाहिए।
- खरमास मे महीने मे नए कपड़ो की ख़रीदारी से भी बचना चाहिए।
खरमास मे क्या नहीं करना चाहिए?
- खरमास के महीने मे किसी भी प्रकार का मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं कार्य चाहिए।
- खरमास मे बेटी या फिर बहू की विदाई करने से बचना चाहिए, खरमास के महीने के समाप्त होने का इंतेजर करना चाहिए।
- खरमास मे मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे संस्कारो से बचना चाहिए।
- खरमास में मूली, गाजर, चावल, तिल, बथुआ, मूंग, सोंठ और आंवला नहीं खाना चाहिए।
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