पवन में कौन सा संधि है?

पवन का अर्थ हवा या फिर वायु होता हैं। पवन का संधि पो+अन होगा। इस संधि को अयादि संधि के नाम से जाना जाता हैं। अयादि संधि स्वर संधि का एक प्रकार हैं, जब किसी वाक्य अंश के अंत मे ए,ऐ, ओ औ आए और वह किसी ऐसे वाक्य से मिले जिसका पहला अक्षर स्वर हो तो ए का रूप बदलकर अय, ऐ का रूप बदलकर आय, ओ का रूप बदलकर अव और औ का रूप बदलकर आव हो जाता हैं। अयादि संधि के पूर्ण होते ही पहले शब्द का अंतिम अक्षर और दूसरे शब्द का पहला अक्षर मे विकार आ जाता हैं।

उदाहरण के लिए

  1. नयन का संधि विच्छेद -> “ने + अन” होगा, ने मे “ए” कथन हैं, जबकि “अन” मे “अ” स्वर हैं, इसलिए जब “ए” और “अ” की संधि होगी तो दोनों कथन मे विकार आ जाएगा और उसके स्थान पर “अय” आ जाएगा।
  2. नाविक का संधि विच्छेद -> नौ + इक
  3. भवन का संधि विच्छेद -> भो + अन
  4. पवित्र का संधि विच्छेद -> पो + इत्र
  5. चयन का संधि विच्छेद -> चे + अन
  6. रावण का संधि विच्छेद -> रौ + अण
  7. हवन का संधि विच्छेद -> हो + अन
  8. गायन  का संधि विच्छेद -> गै + अन
  9. गायिका का संधि विच्छेद -> गै + इका
  10. सावन का संधि विच्छेद -> सौ + अन
  11. पवित्र का संधि विच्छेद -> पो + इत्र
  12. भावुक का संधि विच्छेद -> भौ + ऊक
  13. शयन का संधि विच्छेद -> शे + अन
  14. नयक का संधि विच्छेद -> ने + अक
  15. श्रवण का संधि विच्छेद -> श्रो + अण

 

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